Search This Blog

Tuesday, June 28, 2011

..तो अन्ना का न जाने क्या हश्र होगा: सलमान खुर्शीद & सीमाओं में रहें बाबा रामदेव: सलमान खुर्शीद

लोकपाल विधेयक मसौदा समिति के वरिष्ठ सरकारी सदस्य तथा केंद्रीय जल संसाधन मंत्री  सलमान खुर्शीद ने सोमवार को कहा कि अन्ना हजारे अगर अनशन करते हैं तो यह सर्वोच्च लोकतांत्रिक संस्था (संसद) का विरोध होगा। और इसके बाद उनका क्या हश्र होगा यह नहीं कहा जा सकता।
उन्होंने अन्ना और बाबा रामदेव को चुनाव लड़कर जनता का विश्वास जीतने की भी सलाह दी। खुर्शीद ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार एक अगस्त से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में लोकपाल विधेयक पेश कर देगी। सरकार इस प्रस्तावित विधेयक के मसौदे पर तीन जुलाई को सभी राजनीतिक दलों से चर्चा करेगी। इसके बाद इसे विचार के लिए मंत्रिमंडल के समक्ष रखा जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने महंगाई के मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे को ‘हो-हल्ला’ करार दिया।

लोकतांत्रिक सीमाओं में रहें बाबा रामदेव

सलमान खुर्शीद ने केंद्र सरकार के खिलाफ फिर से उग्र तेवर दिखा रहे योग गुरु बाबा रामदेव को लोकतांत्रिक सीमाओं में रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि योग शिविर की अनुमति के नाम पर आंदोलन के कारण उनके खिलाफ कार्रवाई हुई थी।

मजबूत लोकपाल कानून की पक्षधर है सरकार

खुर्शीद ने कहा कि सरकार सशक्त लोकपाल कानून बनाने की पक्षधर है। बावजूद इसके यदि अन्ना ने 16 अगस्त से अनशन शुरू किया तो वह सरकार का नहीं संसद का विरोध करेंगे। इस स्थिति में उनका क्या हश्र होगा यह ‘मैं नहीं कह सकता।’ खुर्शीद ने कहा कि लोकतंत्र में सरकार का कोई भी विरोध सकता है लेकिन संसद को चुनौती देना और विरोध करना पूरे देश का विरोध माना जाएगा।

उन्होंने कहा कि लोकपाल

विधेयक को मानसून सत्र में पेश कर दिया जाएगा, पेश होने के बाद संसद ही तय करेगी कि आगे क्या प्रक्रिया अपनाई जाए। इसे संसद की स्थाई समिति के पास भेजा जाए या नहीं। इस विधेयक के कारण ही मानसून सत्र आगे बढ़ाया गया है। उन्होंने सिविल सोसाइटी के योगदान की सराहना भी की। लेकिन कहा कि कई बाध्यताओं के चलते सरकार उनकी सभी
मांगें नहीं मान सकती।

Sunday, June 26, 2011

LAW and ORDER in INDIA

 by Ml Gurjar-

कानून किसका पक्ष लेता है है सभी जानते हैं ..उदासीन कानून ..लम्बी न्याय व्यवस्था की प्रक्रिया ..महंगा न्याय जूठे गवाहों पर टिका न्याय ..इस प्रकार की प्रैनिती को जन्म देता है ..आज ये हालात है कानून से शरीफ डरता है ..बदमाश को कोई खौफ नहीं ..क्योंकि वो कानून से रोज खिलवाड़ करता है ..हिंसा किसी भी सुरत में जायज नहीं ..पर समाज में इस प्रकार की घटनाओं को रोका नहीं जा सकता जब की कानून की पालना ..बिना विद्वेष भाव से नहीं हो जाती ..

यह कौन सी " दुनिया " का कानून है ??? by Shri Bittoo Kasana Jawli on Saturday, June 25, 2011 at 10:02pm

यह कौन सी " दुनिया " का कानून है ???

अभी हाल फिलहाल में आप सभी ने ये खबर अवश्य ही पढ़ी होगी या देखी सुनी होगी ... " Rakesh, the sarpanch of Hayatpur village, was shot dead by four men over an alleged water dispute in Gurgaon on the ouskirts of Delhi. The victim was rushed to a nearby hospital where he was declared brought dead. Following the incident, enraged villagers nabbed one of the alleged assailants and thrashed him. They poured petrol over him and set him afire, police said, adding that he died on the spot... " सक्षेप में ... गुस्साएं लोगो ने सरपंच के एक हत्यारे को सरेआम पेट्रोल डाल कर जिन्दा जला दिया और उसकी मौके पर ही मौत हो गयी ...

यहाँ पर एक बात मै स्पष्ट कर दू कि ... मुझे उक्त केस के हालातों के बारे में कोई खास जानकारी नही है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ और असलियत क्या है ? पर मौत तो " मौत " है ... दोनों मौतों से मुझे दुःख हुआ क्योकि दोनों के इस दुनिया से जाने पर उनके परिवार वालो को अथाह दुःख पंहुचा होगा / यहाँ पर एक चिंता का विषय था ... लोगो का ' कानून ' को अपने हाथ में लेना और सरेआम दोषी व्यक्ति को ' सजा ' देना / इसमें कोई दो राय नही है कि ... मृतक के परिवार वाले तथा अन्य गांववाले अपने प्रिय सरपंच कि हत्या से ' आक्रोश ' में होंगे ... पर उन्होंने भी मिलकर एक और जघन्य अपराध को अंजाम दे दिया / इस आम जनाक्रोश के क्या कारण थे ... ये तो स्थानीय लोग ही बेहतर बता सकते हैं / पर यह घटना एक बात की तरफ तो इशारा करती है ही कि ... लोगो का हमारी वर्तमान ' कानून व्यवस्था ' में विश्वास डगमगा रहा है / लेकिन फिर भी ... कानून को अपने हाथो में लेना ... समाजहित में नही लगता / क्योकि इस तरह की घटनाओ से समाज/देश में अराजकता व्याप्त हो सकती है / आप क्या सोचते है इस विषय में ... कृपया अपने विचार रखे .... धन्यवाद /

Thursday, June 23, 2011

क्या " कोचिंग " के सामने " जन्मजात दक्षता ( BORN TALENT ) " ....... कोई मायने नही रखता है ?

क्या " कोचिंग " के सामने " जन्मजात दक्षता ( BORN TALENT ) " ....... कोई मायने नही रखता है ?
Sachin and Gary Kirsten

अगर आप लोगो को याद हो तो ....... मै वो किस्सा यहाँ रखने जा रहा हू .... जब GARY KIRSTEN को भारतीय क्रिकेट टीम का कोच नियुक्त किया गया था तो किसी पत्रकार मोहदय ने उनसे पुछा था कि ... " आप कैसे सचिन तेंदुलकर को बल्लेबाजी के गुर सिखाएंगे ?" तो उनका जबाब था ..." He is a BORN TALENT and requires no cricket coach for batting skills " कितने अनूठे अंदाज़ में उन्होंने सचिन की तारीफ भी कर दी और अपनी बात को सबको समक्ष कह भी डाला / मेरा भी ऐसा ही कुछ सोचना है ... Born talent requires no coaching of whatsoever type . हो सकता हो कि आप मेरी बात से इतेफाक न रखते हो लेकिन मै फिर भी यही कहूँगा कि ... " हीरा तो हीरा ही होता है ... चाहे वो रेत में ही क्यों न पडा हो " बस उस पर से " छनिक धुल " को उतारने की जरुरत मात्र होती है / एकलव्य ने तो बिना गुरु से विधिवत धनुर्विधा की शिक्षा को प्राप्त किये ही ... अर्जुन जैसे धनुर्धर को टक्कर दे दी थी कि ... मजबूरन गुरु द्रोण को उसके अंगूठे को मांगना पड़ गया था जिससे उनके " कोचिंग " प्राप्त छात्र का सिहाशन हिल न जाये /

क्या कोई भी " कोचिंग " आज तक दूसरा सचिन तेंदुलकर पैदा कर पाई है ? और वैसे भी आप किसी को क्या सिखा सकते है जब तक उस का खुद का " INTEREST " उस चीज में न हो ... मान लीजिए STAR CRICKET चैनेल पर एक मैच का प्रसारण हो रहा हो ... पर आप जब तक टीवी को ऑन नही करेंगे तब तक तो आप वो मैच नही न देख पाएंगे / क्या " कोचिंग " से " जन्मजात दक्षता " को पीछे धकेला जा सकता है ..अगर जबाब नही है तो फिर क्यों हम अपने बच्चो को " कोचिंग सेंटर " भेजना बेहतर समझते है ... आप क्या सोचते है इस विषय में ? कृपया अपने विचार रखे
... धन्यवाद /